जलगंगा अभियान के तहत भी कुँओं का संरक्षण नहीं कर पा रही नगरपालिका
केशव शर्मा
छतरपुर । एक ओर जल स्रोतों को बचाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा जलगंगा अभियान का शुभारंभ किया गया था और इस अभियान के तहत छतरपुर में भी जल स्रोतों की सफाई और उनके संरक्षण का काम शुरू किया गया है। लेकिन यह अभियान नदी तालाबों तक सीमित रह गया है। जलगंगा अभियान के तहत भी रियासत कालीन कुँओं की खोज नगरपालिका नहीं पा रही है और न ही उनका संरक्षण कर रही है जबकि छतरपुर शहर में सैकड़ों कँुएं ऐसे हैं जिनमें पर्याप्त जल है लेकिन संरक्षण के अभाव में ऐसे कुँओं का उपयोग नहीं हो पा रहा है। बल्कि कुँओ की हालत दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। कई जगह कुँओं पर अतिक्रमण तक कर लिया गया है लेकिन आज तक ऐसे कुँओं को अतिक्रमणकारियों के कब्जे से मुक्त नहीं कराया गया है। जो कुंए शहर के अंदर स्थित हैं और आज देख-रेख के अभाव में क्षतिग्रस्त होते जा रहे हैं वही कुँएं रियासत काल में लोगों की प्यास बुझाने के काम आते थे। कोतवाली रोड में बुल्ले जैन साइकिल वालों के पास एक कुँआ बना था लेकिन आज उस कुँएं का नामो निशान नहीं है। कुंए के ऊपर 4 मंजिला बिल्डिंग बन चुकी है। लेकिन न तो आज तक जिला प्रशासन ने इस ओर ध्यान दिया है और न ही नगरपालिका ने ध्यान दिया। जिससे स्थिति यह बन गई है कि जो जहां कुंआ देख रहा है उसी पर कब्जा करके अपना मकान बना रहा है। ब्रम्हकुमारी आश्रम के पास एक कुंआ जीर्णशीर्ण हालत में है इसी तरह वार्ड नं. 39 चेतगिरी कालोनी में जो बड़े कुंए के नाम से जाना जाता था उसमें आज मुहल्ले का कचरा डाला जा रहा है। जबकि इसी बड़े कुंए से सैकड़ों एकड़ खेती की सिंचाई होती थी। चेतगिरी हनुमान मंदिर के पास भी एक कुंआ उपेक्षा का शिकार है। इसी तरह शहर में सैकड़ों कुंए ऐसे ही जो जलगंगा अभियान के तहत अपने जीर्णोद्धार का इंतजार कर रहे हैं। देखना यह है कि नगरपालिका और जिला प्रशासन द्वारा इन कुंओं के जीर्णोद्धार और अतिक्रमण से मुक्त कराने हेतु कोई अभियान चलायेगी या फिर धीरे-धीरे सभी कुंए विलुप्त हो जाएंगे। पूर्व में जब भी कभी जमीनों की नाप होती थी तो कुंओं को ध्यान में रखकर नाप की जाती थी लेकिन अब कुंओं की ओर कोई ध्यान नहीं देता है।
कुँए की दीवार गिरी
परवारी मुहल्ले में एक कुंए की दीवार गिर गई जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। हालाकि दीवाल गिरने के बाद बेरीगेटस लगाकर बंद कर दिया गया। लेकिन मुहल्ले वासियों ने स्थाई हल की मांग की है। यदि इस कुंए में कोई हादसा होता है तो नगरपालिका इसके लिए जिम्मेदार होगी।