समाज के कब्रिस्तान में बनी दुकानों को लेकर जिला प्रशासन से नहीं गई कोई भी अनुमति।
छतरपुर SDM ने कहा इन सभी दुकानों की जांच की जायेगी, अगर इन्हे बनाने की अनुमति प्रशासन से नहीं ली गई है तो इन पर कार्यवाही होगी, बिना अनुमति के ये दुकानें अवैध है।
कुछ सवाल कब्रिस्तान में दुकानें बनाने वालों की नियत पर बड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगाते है।
कब्रिस्तान में कई कब्रों को तोड़ कर या उनके ऊपर दुकानें बनाई गईं।
जो शरीयत कानून और इस्लाम धर्म के नियमों के खिलाफ है, मुस्लिम मान्यता के अनुसार किसी भी कब्र को कभी भी किसी भी सूरत में तोड़ा नहीं जा सकता
इन दुकानों के निर्माण कार्य की स्वीकृति ना तो नगर पालिका से ली गई और ना ही राजस्व में इनका रिकॉर्ड दर्ज है।
जबकि नगरीय क्षेत्र में कोई भी निर्माण कार्य चाहे वक्फ बोर्ड कराए या कोई भी संस्था उसकी स्वीकृति कलेक्टर कार्यालय या नगरीय प्रशासन से लेना होती है।
दुकानों को बेचने या लीज के नाम पर लाखों रुपयों की वसूली की गई ।
छतरपुर के दर्जनों लोगों ने अपनी जमा पूंजी का लाखों रुपए बिना किसी लिखा पढ़ी के दुकान बनाने वालों को भरोसे पर दिया जबकि ये दुकानें अवैध तरीके से बनाई गई है।
10 साल पहले तत्कालीन महाराजा कॉलेज के सामने कब्रिस्तान में बनाई गई दुकानें इसीलिए गिरवाईं गई थी क्योंकि मुस्लिम लॉ के अनुसार सामूहिक कब्रिस्तान में कभी भी कोई दुकान या अन्य कार्य हेतु निर्माण नहीं किया जा सकता।