भस्म नैनोमेडिसन का वैदिक प्रमाण है – डॉ शिल्पा शर्मा, नई दिल्ली
नैनोटेक्नोलोजी विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का हुआ समापन
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर में रसायनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में नैनोटेक्नोलोजी थ्रू टाइम: ब्रीजिंग एनसिएंट इंडिया टू मॉडर्न इनोवेशन विषय पर आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमीनार के दूसरे दिन 16 जुलाई 24 मंगलवार को तृतीय तथा चतुर्थ सत्र सहित समापन सत्र संपन्न हुआ। कुलगुरु प्रो शुभा तिवारी के निर्देशन में आयोजित इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में देश विदेश के अनेक विद्वानों ने सार्थक व्याख्यान दिए।
रसायनविज्ञान की विभागाध्यक्ष डा अर्चना जैन एवं सदस्य श्रीमती पूजा तिवारी ने बताया कि इस सेमिनार के दूसरे दिन 16 जुलाई मंगलवार को प्रारंभ में अतिथि वक्ताओं का भावभीना स्वागत किया गया।तृतीय तकनीकी सत्र में प्रथम आमंत्रित वक्ता डॉ आरपी पांडेय एसोसिएट प्रोफेसर मेनिट भोपाल ने नैनो ऑर्गेनिक मेटल फ्रेमवर्क ( मोफ ) को समझाते हुए इनके मेडिसनल और एनवायरनमेंटल अनुप्रयोगों के द्वारा मोफ की उपयोगिता पर प्रकाश डाला । इस सत्र की द्वितीय वक्ता डॉ शिल्पा शर्मा ने अपने प्रभावी व्याख्यान में कहा कि नैनो कण मॉडर्न टेक्नोलॉजी में नया विषय है, परंतु भारतीय विज्ञानी इसे पुराने समय से इसे उपयोग करते आ रहे हैं। भस्म नैनो मेडिसन का वैदिक प्रमाण हैं। आगे उन्होंने बताया कि लौह भस्म का उपयोग एनीमिया के उपचार हेतु आयुर्वेद में होता है।
चतुर्थ तकनीकि सत्र के प्रारंभ में इस सत्र के आमंत्रित वक्ता प्रो रत्नेश दास डॉ हरिसिंह गौर वि वि सागर ने अपने व्याख्यान में नैनोमटेरियल के विभिन्न अनुप्रयोगों की जानकारी दी।इस सत्र के द्वितीय वक्ता डॉ नटराजन सुब्रह्माण्यन बसेडा यूनिवर्सिटी जापान ने अपने उद्बोधन में कहा कि लिथियम बैट्री अपशिष्ट की रीसाइक्लिंग आज की आवश्यकता हैं। लिथियम आयन बैटरी के दुष्प्रभाव की जानकारी देने के साथ-साथ इनकी रीसाइक्लिंग टेक्नीक के बारे में बताया। इस सत्र के अंतिम वक्ता डॉ राहुल कुमार शर्मा शासकीय श्याम सुंदर अग्रवाल महाविद्यालय सिहोरा जबलपुर ने अपने उद्बोधन में नैनो कणो को समझाते हुए भारतीय ज्ञानपरम्परा के परिप्रेक्ष्य में नैनोटेक्नोजी का उदाहरण देते हुए बताया कि अजंता की चित्रकारी कार्बन नैनो कणो का अनूठा उदाहरण है।
दोनों सत्र का अध्यक्षीय उद्बोधन डॉ अमिता अरजरिया ने दिया। अंत में डॉ आनंदपांडेय ने सभी का आभार माना।कार्यक्रम का संचालन डॉ. अपर्णा प्रजापति ने किया।
समापन सत्र कुलसचिव श्री यशवंत सिंह पटेल छतरपुर की अध्यक्षता में समारोहपूर्वक आयोजित हुआ।इस अवसर पर डॉ एके सक्सेना,परीक्षा नियंत्रक प्रो ममता बाजपेई, डॉ एचएन खरे विभागाध्यक्ष प्राणीशास्त्र एवं प्रो अर्चना जैन विभागाध्यक्ष रसायनशास्त्र
मंचासीन रहे।
कुलसचिव श्री यशवंत सिंह पटेल जी ने अपने संबोधन में इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की छात्रों के लिए उपयोगिता बताते हुए सेमिनार के सफल आयोजन के लिए रसायनशास्त्र विभाग को बधाई दी। डॉ एच एन खरे ने अपने संबोधन में कहा कि इस तरह का अंतरराष्ट्रीय सेमिनार विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
समापन सत्र में संगोष्ठी के प्रतिवेदन में डॉ. मोली थॉमस ने दोनों दिन के व्याख्यानों और आयोजन का संक्षिप्त विवरण बखूबी प्रस्तुत किया lअंत में विभागाध्यक्ष डॉ अर्चना जैन ने सभी का आभार प्रकट किया l
समापन सत्र का संचालन डॉ. अपर्णा प्रजापति एवं डॉ श्रद्धा पाल ने किया। राष्ट्रगान के साथ दो दिवसीय सफल राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ।