, ग्रामीणों को नहीं मिल सकता लाभ
जनपद पंचायत छतरपुर के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत थरा इस पंचवर्षीय योजना में भले ही आदिवासी सरपंच के हाथों में हो लेकिन पंचायत में वास्तव में आदिवासी सरपंच का नहीं बल्कि दबंगों का कब्जा है और दबंगई के चलते ही इस पंचायत में आने वाली विकास राशि का खुल कर दुरुपयोग किया जा रहा है। थरा पंचायत के अंतर्गत आने वाले मौजा सिमरिया में पेयजल की किल्लत को देखते हुए जनपद पंचायत से 5 लाख 60 हजार रुपये सार्वजनिक कूप निर्माण हेतु स्वीकृत किए गए। सार्वजनिक कूप के लिए पटवारी द्वारा जो जगह चिन्हित की गई उस जगह पर सार्वजनिक कूप बनने से ग्रामवासियों को कम लाभ मिलेगा बल्कि पास के ही एक भूस्वामी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इस कूप का निर्माण सरपंच, सचिव और पटवारी ने कराया । सार्वजनिक कूप जिस जगह पर बनाया गया उस जगह तक जाने के लिए समतल रास्ता नहीं है बल्कि पत्थरों के बीच से कुआं तक पहुंचने के लिए मसक्कत करनी पड़ेगी। वहीं एक ओर से कुआं के ऊपर बड़ी बंधान है जिससे लोगों के गिरने का भी खतरा बना रहेगा। कुल मिला कर ग्रामीणों का आरोप है कि निजी भूमि स्वामी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य ये इस कुएं का निर्माण कराया गया है। निर्माण कार्य में भी भारी भ्रष्टाचार की बू आ रही है। वहीं इस संबंध में सरपंच राम भरोसे कोंदर का कहना है कि जहां पर पटवारी द्वारा जगह चिन्हित की गई वहीं पर सार्वजनिक कूप का निर्माण कराया गया है। रहीं बात ग्रामीणों के लाभ की तो जिसको पानी भरना होगा वह कुआ तक पहुंच कर पानी भर लेगा। वहीं इस संबंध में जब सचिव राममिलन मिश्रा से बात की गई तो उनका कहना था कि सार्वजनिक कूप निर्माण वाली जगह सरकारी है। लागत के संबंध में उन्होंने अपने व्यक्तिगत कार्य में व्यस्त होने का हवाला देकर कहा कि मेरे पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। वहीं जनपद के सहायक यंत्री केएस खरे से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सब इंजीनियर भारती की देखरेख में यह कार्य चल रहा है। बेहतर वही बता सकते हैं। लेकिन सब इंजीनियर विनीत भारती के मोबाइल नंबर 9754151519 पर जब कॉल किया गया तो पहले उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की लेकिन बाद में मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। 4 लाख रुपए की लागत से वर्ष 2022-23 में थरा के सरपंच द्वारा विधायक निधि से सामुदायिक भवन सिमरिया का निर्माण कराया था। लेकिन इस भवन के निर्माण में भी घटिया सामग्री का उपयोग किया गया है। सामुदायिक भवन के आसपास खरपतवार जम आए हैं। वहां पर साफ-सफाई नहीं है जिससे सामुदायिक भवन के सामने ही लोग कचरा डाल रहे हैं जिससे लोग इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। सब इंजीनियर नहीं करते स्थल निरीक्षण जनपदों में पदस्थ सब इंजीनियर स्थलों का निरीक्षण नहीं करते है। ऐसा कई बार देखने में आया है। स्थल निरीक्षण न होने से सरपंच मनमानी जगह पर काम करवाते हैं। जिसका ग्रामीणों को लाभ भी नहीं मिल पाता है। अगर स्थल निरीक्षण करके इस सार्वजनिक कूप की टीएस जारी की जाती तो शायद सब इंजीनियर द्वारा कुआ निर्माण की सहमति कभी नहीं दी जाती।