महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय मे स्मारिका प्रकाशन तथा मुद्रण कार्यों में भ्रष्टाचार की सुगंध
भ्रष्टाचार छुपाने के लिए सूचना के अधिकार के तहत दी जा रही भ्रामक एवं अपूर्ण जानकारी
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छात्रों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाता है परंतु यहां कार्यरत कई कर्मचारी विश्वविद्यालय में होने वाले कार्यों में ईमानदारी एक तरफ रख भ्रष्टाचार पर उतारू हो गए है ।ऐसा ही एक मामला तब सामने आया जब सूचना के अधिकार के तहत पत्रकार हरिओम अग्रवाल द्वारा 22 फरवरी 2024 को महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में तृतीय दीक्षांत समारोह में प्रकाशित स्मारिका दीक्षा वाणी एवं छत्रछाया न्यूज लेटर के मुद्रण कार्य संबंधित जानकारी चाही गई ।पहले तो विश्वविद्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों ने जानकारी छुपाने के पूरे प्रयास किये ।एक माह में जानकारी न देकर जब पुनः आवेदक द्वारा 1मई2024 को अपील की गई तो महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा जो जानकारी दी गई वह भ्रामक ,अपूर्ण और तथ्यों को छुपाने का पूरा प्रयास किया गया।
आवेदक द्वारा तृतीय दीक्षांत समारोह की जानकारी चाही गई विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जानकारी देने में 2021 के पत्रों का उपयोग किया गया और कोटेशन की जानकारी 2021 की दी गई परंतु कार्य के बाद जिस फर्म को भुगतान किया गया उसमें 2024 के बिल दिखाए गए। निविदा आमंत्रण में जो जानकारी दी गई उसके ठीक विपरीत बिलों का भुगतान किया गया। आवेदक को निविदा आमंत्रण मैं जो पत्र का उपयोग किया गया उसमें दिनांक 20 12 2021 के अनुसार स्मारिका की 500प्रतियो का मुद्रण किया जाना है परंतु बगलामुखी इंटरप्राइजेज को जो बिल का भुगतान किया गया वह 1500 स्मारिका का किया गया । स्मारिका दीक्षा वाणी में प्रिंट लाइन का भी उल्लेख नहीं है साथ आवेदक को यह भी जानकारी नहीं दी गई की न्यूज लेटर मुद्रण के लिए कुल कितने टेंडर आए । किस अखबार में निविदा आमंत्रण प्रकाशित की गई यह जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई गई ।
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा सूचना के अधिकार के तहत भ्रामक और अपूर्ण जानकारी देना किसी एक फर्म को फायदा पहुंचाने की ओर को संकेत करता है विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जो स्मारिका और मुद्रण कार्य कराए गए हैं उनकी निष्पक्ष जांच होना चाहिए तभी भ्रष्टाचार से पर्दा उठ सकता है