धर्म जीवन की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करते हुए स्वयं पर विजय का परम शौर्य मार्ग है, जिसके साथ समाज, विश्व एवम प्राणिमात्र के कल्याण का मार्ग सुनिश्चित होता है
बाबा के काले साम्राज्य का पूरा काला चिट्ठा, बाबा साकार से जुड़ा सबसे बड़ा खुलासा, भोले बाबा के मुख्य सेवादार के घर पहुंचा कैमरा, बाबा पर ऐसा खुलासा पूरा देश रह गया सन्न
ये कुछ हेडिंग है जो वर्तमान में देश की प्रमुख मीडिया में छाई हुई है एवम हाथरस हादसे के बाद सुर्खियां बटोर रही है।
यह वही मीडिया है जो बाबाओं के चमत्कारों को नमस्कार कर उनके चरणावत होकर उनके गुणगान करते नही थकती थी क्योंकि इन बाबाओं से उनके चैनल की टीआरपी अर्थात देखने वालों की संख्या बढ़ती थी। जितनी अधिक देखने वालों की संख्या उतने विज्ञापन और जितने अधिक विज्ञापन उतनी कमाई।
अब बाबा फंस गया तो भी कमाई। शायद मीडिया ने गिरगिट को भी अपने रंग बदलने की कला में पीछे छोड़ दिया है।
धर्म के नाम पर देश का बंटाधार करने एवम देश को जातिगत दलदल में डालने वाले बाबाओं के काले कारनामे तब बताए जा रहे है जब 123 महिलाए एवम बच्चे असमय ही मौत की नींद में सो गए। शायद उनके चमत्कार को नमस्कार करने एवम उनके काले कारनामों पर पर्दा डालने की जगह तब सच बताया होता।
राजनैतिक दल के सत्ता एवम विपक्ष के नेता तो इन बाबाओं में अपने राजनीतिक भविष्य की तलाश कर रहे है इसीलिए प्रशासन ने 123 मौत के बदले बाबा को छोड़कर 6 एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्यवाही के संदेश दे दिए है पर किसी भी स्थिति में बाबा पर आंच नही आनी दी। सेवादार हो या आयोजक सब पर कार्यवाही होगी लेकिन उत्तर प्रदेश के पुलिस मुखिया से बाबा का ब मुंह से नही निकला।आखिर कोई बहुत बड़ी मजबूरी रही होगी।
वैसे देश को स्वतंत्र हुए जब 75 वर्ष पूर्ण हो चुके है तब यही समझ में आ रहा है की देश में शिक्षा से अधिक धर्मांधता की नितांत आवश्कता है। राष्ट्र में अब समस्त तकनीकी, चिकित्सीय एवम कौशल विकास की शिक्षाओं की जगह तंत्र मंत्र, जादू, टोना, टोटका एवम भूत पिचास से व्यक्तिगत, समाज एवम राष्ट्र विकास की परिकल्पना को साकार करने की व्यवस्था होनी चाहिए।
बाबाओं की आधुनिक भव्य विलासिता के साधनों से पूर्ण अट्टालिकाएं एवम चमचमाते लक्जरी वाहन 123 महिलाओं एवम बच्चों की मौत पर शोक संतृप्त है। बाबाओं द्वारा जमा की गई अकूत संपत्ति बाबाओं से पूछ रही है और कितनी मौत के लिए मुझे जमा किया है। चैनलों की टीआरपी से कमाई दौलत मीडिया एवम बाबाओं से सवाल कर रही है कितनी लाशों पर चलकर फॉलोवर एवम लाइक बढ़ाएंगे। देश की जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ धर्म की भी आवश्यकता है लेकिन ये अंधविश्वास से अंधा करने बाला धर्म नही बल्कि समाज में जनकल्याण एवम उन्नति की दिशा में बढ़ने वाला धर्म।
बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी एवम विकास से आम जनता को भटका कर आम आदमी को एक अकर्मण्य नागरिक बना धर्मांध बना दो। इस कार्य को नारायण साकार जैसे बाबा ही बखूबी अंजाम देकर लाचारों को धर्मांध बना सकते है।
अगर चमत्कार है तो 123 लोगों को काल कवलित होने से बचा लीजिए। ये शायद किसी के बूते के बस नही।
स्वयं को स्वंभू भगवान कहने बाबाओं ईश्वर से डरिए। एक सांस डालने की बात तो छोड़िए एक पत्ता हिलाने की किसी में दम नही। ईश्वर की परम शक्ति को चुनौती मत दीजिए। कोई बाबा नही जो 123 में प्राण फूंक सके। हां मरने वालों में बाबा का कोई नही मरा।
आप में भी ईश्वर का बही अंश है जो हम में है और जो हाथरस में हादसे में चले गए उन में था।इंसानों से प्रेम कर उनका कल्याण हो ना की उनका उपयोग अपने लिए अकूत दौलत कमाने में।
देश आगे तभी बढ़ेगा जब शिक्षा का प्रसार होगा, देश का नागरिक शिक्षित होगा, ना की रूढ़िवादिता, अंधविश्वास एवम धर्मांधता में फंसकर।