कृष्णमोहन झा/
भारत के 78 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐतिहासिक लालकिले से राष्ट्र के नाम अपने संदेश में बंगला देश के घटना क्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए वहां जल्द हालात सामान्य होने की उम्मीद जताई है । प्रधानमंत्री ने कहा कि 140 करोड़ देशवासी वहां हिन्दू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। भारत चाहता है कि पड़ोसी देश सुख और शांति के रास्ते पर चले। प्रधानमंत्री ने शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि यही हमारे संस्कार हैं। आने वाले समय में बंगला देश की विकास यात्रा में भारत सहभागी बनेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने बंगला देश की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को लेकर जो चिंता व्यक्त की उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी साझा किया है। सरसंघचालक ने नागपुर में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण के पश्चात् अपने संबोधन में बंगला देश का नाम लिए बिना कहा कि भारत के पड़ोसी देश में बहुत उत्पात हो रहे हैं और वहां रहने वाले हिन्दू अल्पसंख्यकों को बिना कारण ही उसकी तपिश झेलना पड़ रही है। भारतवर्ष का दायित्व स्व की रक्षा और स्वयं की स्वतंत्रता तो है लेकिन यह हमारी परंपरा है कि भारत अपने आप को दुनिया के उपकार के लिए बड़ा करता है। हमने किसी पर हमला नहीं किया बल्कि जब जो संकट में था उसकी मदद की । संघ प्रमुख ने सरकार से बंगला देश में संकटग्रस्त हिन्दुओं की मदद करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का आग्रह करते हुए यह विश्वास व्यक्त किया कि सरकार निश्चित रूप से ऐसा करेगी परंतु इसके लिए सभी लोगों को सरकार के साथ खड़े होना चाहिए। गौरतलब है कि कुछ दिनों पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इसी आशय के विचार व्यक्त किए थे। उन्होंने हिंसाग्रस्त बंगला देश में हिन्दुओं, बौद्धों और अन्य अल्पसंख्यकों की रक्षा की जरूरत पर बल देते हुए कहा था कि बंगला देश की अंतरिम सरकार को वहां
जारी उपद्रवों को रोकने के लिए तत्परता दिखानी चाहिए। सरकार्यवाह ने विश्व समुदाय और भारत के राजनीतिक दलो से बंगला देश में हिंसा का शिकार बने हिंदू, बौद्ध आदि अल्पसंख्यकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने का अनुरोध किया।
गौरतलब है कि बंगला देश में हाल के हिंसक उपद्रवों में हिंदू अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को बड़े पैमाने पर निशाना बनाया गया है। इस्कॉन मंदिर को प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी और मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बंगला देश की स्थिति पर संसद में अपने बयान में कहा था कि भारत सरकार वहां हिन्दू अल्पसंख्यकों की स्थिति पर निगरानी रख रही है। बंगला देश में करीब 19000 हिंदू अल्पसंख्यक हैं जिनमें से 9 हजार छात्र हैं । बंगला देश में हिंसक प्रदर्शन शुरू होने के पहले करीब आधे हिंदू अल्पसंख्यक भारत लौट आए हैं। सरकार वहां रहे हिन्दू परिवारों के निरंतर संपर्क में है और संकट की इस घड़ी में उनके साथ है।
बंगला देश का घटनाक्रम भारत के लिए निःसंदेह चिंताजनक है। भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों का निर्वाह करने वाली हसीना वाजेद सरकार का स्थान मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार ने ले लिया है। पूर्व प्रधानमंत्री और बंगला देश नेशनलिस्ट पार्टी की मुखिया खालिदा जिया को रिहा कर दिया गया है जिनकी सरकार का झुकाव हमेशा चीन और पाकिस्तान की ओर रहा जबकि बंगला देश की प्रधानमंत्री के रूप में शेख हसीना वाजेद के कार्यकाल में बंगला देश और भारत के बीच प्रगाढ़ मैत्री संबंध बने रहे । अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार पद का कार्य भार संभालने के बाद मोहम्मद युनूस ने उपद्रवकारियों से यूं तो सख्त लहजे में कहा है कि वे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना तत्काल बंद करें परंतु उनकी सख्ती के जब तक सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आते तब तक यह सख्ती दिखावटी ही मानी जाएगी और ऐसी स्थिति में भारत को वहां हिंदुओं के जान-माल की सुरक्षा के लिए और प्रभावी कदमों पर विचार करने पर विवश होना पड़ेगा