– डॉ. नारायण सिंह परमार
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना (मनरेगा) हमें गांव में ही रोजगार की गारंटी देता है। 7 सितंबर 2009 को भारत सरकार द्वारा इसे लागू करके रोजगार की गारंटी दी थी। इस योजना के तहत प्रत्येक वित्त वर्ष में ग्रामीण परिवार के व्यस्क सदस्य को (जिनके पास जॉबकार्ड हों) मांग करने पर 100 दिन का रोजगार दिया जाएगा। मनरेगा की कार्ययोजना जिस तरह से तैयार की गई है उससे तो पलायन पूरी तरह से बंद हो जाना चाहिए था। गांव में कुछ आय खेती से, कुछ पशुपालन से व 100 दिन मजदूरी मनरेगा से मिलने पर शायद ही कोई अपना गांव-घर छोडक़र जाना चाहेगा। जान जोखिम में डालकर महानगरों में मजदूरी कर रहे लोग अपने परिवार को गांव में छोडक़र जाते हैं। मनरेगा का अगर ठीक ढंग से क्रियान्वयन हो जाए तो कोई अपने वृद्ध-बीमार माता-पिता और बच्चों को क्यों अकेला छोडऩा चाहेगा। पर मनरेगा के क्रियान्वयन में जमकर खामियां हैं। मैं इसके उदाहरण के तौर पर जनपद पंचायत बिजावर की ग्राम पंचायत कदवारा का तस्वीर से अवगत कराना चाहता हूं।
जनपद पंचायत बिजावर की ग्राम पंचायत कदवारा में सरपंच हल्की बाई लोधी हैं। इनका बड़ा बेटा शंकर सिंह लोधी यहां पर रोजगार सहायक है। सचिव कम ही पंचायत में पहुंचते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वे नशे की हालत में रहते हैं। इस ग्राम पंचायत में मनरेगा में किस तरह से फर्जीवाड़ा किया जा रहा है यह मनरेगा की जमीनी हकीकत बताने के लिए पर्याप्त है। यहां पर मटेरियल सप्लाई के लिए जो ट्रैक्टर लगाए गए इनके बिल जो पंचायत दर्पण में अपलोड किए गए इनमें द्वारिका सेन को ट्रैक्टर भाड़े का भुगतान किया गया है। द्वारिका सेन के पास कोई ट्रैक्टर नहीं है वह गांव में हेयर कटिंग का काम करते हैं। बिल में फर्जी तरीके से ट्रैक्टर का उल्लेख किया गया। इस पंचायत ने जो बिल पंचायत दर्पण में अपलोड किए इसमें सरपंच हल्की बाई ने अपने दूसरे बेटा भूपत लोधी को मजदूरी करते हुए दिखाया। इसके साथ ही किशनगढ़ के किराना व्यापारी कुलदीप गुप्ता यहां पर मजदूरी करने पहुंचे हैं। इस ग्राम पंचायत में कदवारा के साथ ही भैसखार गांव आता है। गांव भैसखार में हुआ मजदूर कदवारा से पहुंचे। अपने गांव में उन्हें काम नहीं दिया गया दूसरे गांव में उन्हें काम कहां से दिया गया होगा। गांव के अतिगरीबी रेखा व गरीबी रेखा में शामिल परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। रोजगार सहायक ने अपना ही मकान प्रधानमंत्री आवास योजना से तैयार करा लिया है। मां सरपंच है, बेटा रोजगार सहायक है इसके बाद भी गरीब हैं। इस पंचायत पंचायत दर्पण पर जो बिल अपलोड किए गए हैं उनमें एक ही फर्म के कई बिल हैं। इन फर्मों का कहीं कोई पता तक नहीं लिखा है इसके बाद भी मनरेगा से भुगतान ले रहे हैं।
अधिकारियों की रुचि मनरेगा के क्रियान्वयन में नहीं :
ग्राम पंचायत कदवारा में मनरेगा में हुए व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत ग्रामीण पिछले 9 माह से कर रहे हैं। पहला आवेदन 24 जनवरी 24 को जनपद सीईओ बिजावर को दिया, कोई कार्रवाई नहीं हुई। दूसरा आवेदन 12 अगस्त को जिला पंचायत सीईओ को दिया कोई कार्रवाई नहीं हुई। तीसरा आवेदन 24 अगस्त को कलेक्टर को दिया कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक कि शिकायती आवेदन तक जांच तक नहीं कराई गई।
– नारायण सिंह छतरपुर के वरिष्ठ पत्रकार एवं वर्तमान में दैनिक भास्कर छतरपुर में न्यूज एडिटर के पद पर कार्यरत है।